Tuesday, March 31, 2015

चमत्कारी मयूरपंख

 

जीवनयुक्त तथा ऊर्जावान होने के कारण स्वतः गिरे मयूर पंख ही लाभकारी होते हैं। मोरों को मारकर लाए या मारे गए मोर के पंख शव की तरह लाभ की जगह अत्यन्त हानिकर सिद्ध होते हैं। अतः मयूरपंख के प्रयोग में अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए।
 
नवग्रह शान्ति......

1)सूर्य अवग्रह शान्ति
रविवार के दिन नौ मयूर पंख लेकर लाल धागे में बाँध दें तथा उन्हें एक थाली में नौ सुपारियों पर स्थापित करें।  आम के पत्ते से गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़कर
ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर दो नारियल और लड्डु सूर्यदेव को अर्पित करें
2)चंद्रमा की अवग्रह शान्ति
सोमवार के दिन आठ मयूर पंख श्वेत धागे में बाँध कर एक थाली में आठ सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर पांच पान के पत्ते और सफेद बर्फी चन्द्रमा को अर्पित करें।
3)मंगल शान्ति
मंगलवार को सात मोर पंख लाल धागे में बाँधकर एक थाली में सात सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ भूमिपुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर दो पीपल के पत्तों पर अक्षत तथा बूंदी का प्रसाद मंगल को अर्पित करें।
4)बुध की शान्ति
बुधवार के दिन छ: मोर पंखों को हरे धागे में बांधकर एक थाली में छ: सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर जामुन, बेर और मीठी रोटी केले के पत्ते पर रखकर बुध को अर्पित करें।
5)बृहस्पति की शान्ति
गुरूवार को पाँच मयूर पंखों को पीले धागे में बाँधकर एक थाली में पांच सुपारियों पर स्थापित कर दें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ बृहस्पतये नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर ग्यारह केले और बेसन के लड्डु बृहस्पति देवता को अर्पित करें।
6)शुक्र शान्ति
शुक्रवार को चार मयूर पंख हल्के गुलाबी रंग के धागे में बाँधकर एक थाली में चार सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर इत्र, तीन मीठे पान और गुड़-चने का प्रसाद शुक्र को अर्पित करें।
7)शनि की शान्ति
शनिवार के दिन तीन मोर पंख काले धागे में बाँधकर एक थाली में तीन सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ शनैश्चराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर तीन मिट्टी के तैलपूर्ण दीये और गुलाबजामुन शनिदेव को अर्पित करें।
8)राहु की शान्ति
शनिवार को सूर्योदय के पूर्व ब्राह्ममुहूर्त में दो मोर पंख भूरे धागे में बाँधकर एक थाली में दो सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्रोच्चारण करते हुए ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। चौमुखा दिया जला कर पंचोपचार से पूजन कर राहु को गुड़ का पुआ अर्पित करें।
9)केतु शान्ति
शनिवार को सूर्यास्त के बाद एक मोर पंख स्लेटी धागे में बाँधकर एक थाली में एक सुपारी पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर मिट्टी के दो जलपूर्ण कलश और ऋतुफल केतु को अर्पित करें।

वास्तुदोष शान्ति
1)घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित कर, उसके नीचे हरे गणपति का चित्र या छोटी प्रतिमा स्थापित कर 27 बार ऊँ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें।

2)यदि पूजा स्थान वास्तु के विपरीत है तो पूजा स्थान को इच्छानुसार मोर पंखों से सजाएँ, सभी मोर पंखो को कुमकुम का तिलक करें। 108 बार ऊँ कूर्म पुरुषाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें।

3)यदि रसोईघर वास्तु के अनुसार न बना हो तो मौली में बाँधकर दो मोर पंख रसोईघर में चुल्हे से दूर स्थापित करें, गंगाजल छिड़ककर 54 बार ऊँ अन्नपूर्णाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें

4)यदि शयन कक्ष वास्तु अनुसार न हो तो शैय्या के सिरहाने सात मोर पंखों को फैलाकर मौली में लपेटकर तथा उनके मध्य सात कौड़ियों को पिरोकर स्थापित करें, प्रतिष्ठित करने का मंत्र है, 108 बार ऊँ स्वप्नेश्वरीदेव्यै नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा

 

अन्य अनुभूत प्रयोग

1)  मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधाकृष्ण की मूर्ति के मुकुट में ४० दिनों तक स्थापित कर प्रतिदिन सायंकाल मक्खन-मिश्री का भोग लगाएँ ४१ वें दिन उस मोर पंख को मंदिर से दक्षिणा भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लॉकर में स्थापित कर दें।
धन-सुख-शान्ति में वृद्धि होगी।

2)  कालसर्प- अपने तकिये के कवर के अंदर सोमवार रात्रि में 7 मोरपंख डालें तथा शयनकक्ष की पश्चिमी दीवार पर 11 मोरपंखों का पंखा लगा दें

3)   बच्चा जिद्दी हो तो 11 मोरपंखों का पंखा छत के पंखे के साथ बाँध दें। बच्चे जिद्द में कमी आने लगेगी।

4)  मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष शान्त होता है।

5)  नवजात बालक के सिरहाने मोर का पंख रखें। बालक डरता नहीं है

6)  यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर श्रीहनुमान जी के चरणों के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में शत्रु का नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए बहते पानी में प्रवाहित कर दें। शत्रु मित्रता का व्यवहार करने लगेगा।

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