Tuesday, March 31, 2015

चमत्कारी मयूरपंख

 

जीवनयुक्त तथा ऊर्जावान होने के कारण स्वतः गिरे मयूर पंख ही लाभकारी होते हैं। मोरों को मारकर लाए या मारे गए मोर के पंख शव की तरह लाभ की जगह अत्यन्त हानिकर सिद्ध होते हैं। अतः मयूरपंख के प्रयोग में अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए।
 
नवग्रह शान्ति......

1)सूर्य अवग्रह शान्ति
रविवार के दिन नौ मयूर पंख लेकर लाल धागे में बाँध दें तथा उन्हें एक थाली में नौ सुपारियों पर स्थापित करें।  आम के पत्ते से गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ये मंत्र पढ़कर
ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर दो नारियल और लड्डु सूर्यदेव को अर्पित करें
2)चंद्रमा की अवग्रह शान्ति
सोमवार के दिन आठ मयूर पंख श्वेत धागे में बाँध कर एक थाली में आठ सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर पांच पान के पत्ते और सफेद बर्फी चन्द्रमा को अर्पित करें।
3)मंगल शान्ति
मंगलवार को सात मोर पंख लाल धागे में बाँधकर एक थाली में सात सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ भूमिपुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर दो पीपल के पत्तों पर अक्षत तथा बूंदी का प्रसाद मंगल को अर्पित करें।
4)बुध की शान्ति
बुधवार के दिन छ: मोर पंखों को हरे धागे में बांधकर एक थाली में छ: सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर जामुन, बेर और मीठी रोटी केले के पत्ते पर रखकर बुध को अर्पित करें।
5)बृहस्पति की शान्ति
गुरूवार को पाँच मयूर पंखों को पीले धागे में बाँधकर एक थाली में पांच सुपारियों पर स्थापित कर दें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ बृहस्पतये नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर ग्यारह केले और बेसन के लड्डु बृहस्पति देवता को अर्पित करें।
6)शुक्र शान्ति
शुक्रवार को चार मयूर पंख हल्के गुलाबी रंग के धागे में बाँधकर एक थाली में चार सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर इत्र, तीन मीठे पान और गुड़-चने का प्रसाद शुक्र को अर्पित करें।
7)शनि की शान्ति
शनिवार के दिन तीन मोर पंख काले धागे में बाँधकर एक थाली में तीन सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ शनैश्चराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर तीन मिट्टी के तैलपूर्ण दीये और गुलाबजामुन शनिदेव को अर्पित करें।
8)राहु की शान्ति
शनिवार को सूर्योदय के पूर्व ब्राह्ममुहूर्त में दो मोर पंख भूरे धागे में बाँधकर एक थाली में दो सुपारियों पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्रोच्चारण करते हुए ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। चौमुखा दिया जला कर पंचोपचार से पूजन कर राहु को गुड़ का पुआ अर्पित करें।
9)केतु शान्ति
शनिवार को सूर्यास्त के बाद एक मोर पंख स्लेटी धागे में बाँधकर एक थाली में एक सुपारी पर स्थापित करें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार मंत्र पढ़कर ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा प्रतिष्ठित करें। पंचोपचार से पूजन कर मिट्टी के दो जलपूर्ण कलश और ऋतुफल केतु को अर्पित करें।

वास्तुदोष शान्ति
1)घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित कर, उसके नीचे हरे गणपति का चित्र या छोटी प्रतिमा स्थापित कर 27 बार ऊँ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें।

2)यदि पूजा स्थान वास्तु के विपरीत है तो पूजा स्थान को इच्छानुसार मोर पंखों से सजाएँ, सभी मोर पंखो को कुमकुम का तिलक करें। 108 बार ऊँ कूर्म पुरुषाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें।

3)यदि रसोईघर वास्तु के अनुसार न बना हो तो मौली में बाँधकर दो मोर पंख रसोईघर में चुल्हे से दूर स्थापित करें, गंगाजल छिड़ककर 54 बार ऊँ अन्नपूर्णाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से प्रतिष्ठित करें

4)यदि शयन कक्ष वास्तु अनुसार न हो तो शैय्या के सिरहाने सात मोर पंखों को फैलाकर मौली में लपेटकर तथा उनके मध्य सात कौड़ियों को पिरोकर स्थापित करें, प्रतिष्ठित करने का मंत्र है, 108 बार ऊँ स्वप्नेश्वरीदेव्यै नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा

 

अन्य अनुभूत प्रयोग

1)  मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधाकृष्ण की मूर्ति के मुकुट में ४० दिनों तक स्थापित कर प्रतिदिन सायंकाल मक्खन-मिश्री का भोग लगाएँ ४१ वें दिन उस मोर पंख को मंदिर से दक्षिणा भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लॉकर में स्थापित कर दें।
धन-सुख-शान्ति में वृद्धि होगी।

2)  कालसर्प- अपने तकिये के कवर के अंदर सोमवार रात्रि में 7 मोरपंख डालें तथा शयनकक्ष की पश्चिमी दीवार पर 11 मोरपंखों का पंखा लगा दें

3)   बच्चा जिद्दी हो तो 11 मोरपंखों का पंखा छत के पंखे के साथ बाँध दें। बच्चे जिद्द में कमी आने लगेगी।

4)  मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष शान्त होता है।

5)  नवजात बालक के सिरहाने मोर का पंख रखें। बालक डरता नहीं है

6)  यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर श्रीहनुमान जी के चरणों के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में शत्रु का नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए बहते पानी में प्रवाहित कर दें। शत्रु मित्रता का व्यवहार करने लगेगा।

Wednesday, March 18, 2015

श्रीविक्रमाब्द 2072 में विश्व और भारत


विक्रमाब्द 2072, वर्तमान कीलक नाम संवत्सर.....

श्री श्वेतवाराह कल्पारम्भ से 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 116 वर्ष बीत चुके हैं। वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाइसवें कलियुग के 5116 वर्ष, श्रीविक्रम सम्वत्सर के 2071 वर्ष तथा शकारम्भ के 1937 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। ईसवीय दिनांक 21 मार्च 2015 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दिन शनिवार को कीलक नाम के विक्रमीय 2072 वें संवत का विनियोग प्रारम्भ होगा। वास्तव में कीलकका प्रवेश 19 जून 2014 को ही हो गया था, पर उसके विनियोग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 21 मार्च 2015 से होगा। आगामी बार्हस्पत्य संवत्सर सौम्य का प्रवेश 28 मई 2015 को पूर्वाह्न 10.11 पर होगा। कीलक में अत्यधिक वृष्टि तथा शासकों का उपद्रव दोनों प्रजा के लिए विक्षोभ कारक होंगे।

तोयपूर्णो भवेन्मेघो वर्षते च धरातले। उपद्रवस्तु राज्ञां वै कीलके सदा प्रिये।।

वर्तमान संवत्सर के प्रवेशकाल में सिंहराशि उदित हुयी है। वर्ष लग्नेश सूर्य गुरूदृष्ट मंगल-केतु सुक्त होकर नवम भाव में स्थित है। वर्तमान वर्षपति शनि तथा मंत्री मंगल होंगे। वर्तमान खगोलीय परिषद् में सूर्य रसेश, चन्द्रमा के आधिपत्य में दुर्ग, फल तथा मेघ, बुध के आधिपत्य में शीत कालीन धान्येश का प्रभार है। देवगुरू कोष तथा चौमासा धान्य के अधिपति हैं। शुक्र को सस्य तथा नीरसेश का दायित्व मिला है।

ग्रहण-- इस वर्ष चार ग्रहण (2 चन्द्र तथा दो सूर्यग्रहण) लग रहे हैं, जिनमें तीन ग्रहम भारत में दिखेंगे। चैत्र पूर्णिमा (4 अप्रैल 2015) को ग्रस्तोदित खण्ड चन्द्रग्रहण का मोक्ष सम्पूर्ण भारत में, भाद्रपद पूर्णिमा (28 सितम्बर 2015) को खग्रास चन्द्रग्रहण गुजरात और राजस्थान के सूदूर पश्चिमी इलाकों में सूक्ष्मरूप में दिखेगा। फाल्गुन अमावस्या (9 मार्च 2016) को खग्रास सूर्यग्रहण भारत में ग्रस्तोदित होगा, जो पश्चिम और पश्चिमोत्तर भाग को छोड़कर शेष समस्त भारत में दिखेगा।

संवत के राजा शनि और मन्त्री शनि के प्रबल शत्रु मंगल हैं। शनि वर्तमान में अपने प्रबल शत्रु मंगल की ही राशि वृश्चिक में वक्री उदित हुआ है, जबकि देवगुरू भी संवत्पर प्रवेश में में वक्री होकर शिन को देख रहे हैं। तीन प्रमुख प्राधिकार क्रूर ग्रहों को तथा सात सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। इस ग्रहशासनाधिकार के फलस्वरूप विश्व और भारत का राजनैतिक वातावरण विक्षुब्ध, अनिश्चित, तनावपूर्ण,और अशान्त रहेगा।

शनैश्चरे भूमिपतौ सकृज्जलम् प्रभूत रोगैः परिपीडिता जनाः।

लोगों में क्रोध, उत्तेजना, एवम् अहमन्यता बढ़ने से रोड-रेज, झगड़ा-फसाद, साम्प्रदायिक हिंसा, दुर्घटनाएँ की अधिकता रहेगी।

विश्व पर प्रभाव- पूर्वार्ध में प्रतिकूल वर्षा तथा क्लिष्ट रोगों के कारण लोग परेशान रहेंगे। इस वर्ष कुछ देशों में युद्ध अथवा गृहयुद्ध की छाया है। वर्ष प्रवेश में गुरू-शुक्र के चतुर्थ-दशम सम्बन्ध अन्तर्राष्ट्रीय एवम् देशों के घरेलू हालात अत्यन्त अनिश्चिततापूर्ण और तनावपूर्ण रहने की आशंका है। विश्व के प्रमुख शक्तियों के साथ ही भारत में इस्लामी कट्टरवाद एक प्रमुख मुद्दा बनेगा। साथ ही सीरिया, ईराक, इजरायल-फिलीस्तीन, सूडान, युगाण्डा, मिस्र, अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम राष्ट्र लम्बे गृहसुद्ध की ओर अग्रसर होते दिखेंगे। उच्चस्थ गुरू के तथा मेषस्थ शुक्र के प्रभावस्वरूप विश्व में अस्थिरता का माहौल रहेगा। खाड़ी के देश अमेरिका एवं यूरोप के खिलाफ एकजूट होते दिखेगें। इस वर्ष अमेरिका की आर्थिक-वैदेशिक स्थिति चुनौतिपूर्ण रहेगी। पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात बनते दृष्टिगोचर हो रहे हैं।यूरोपीय देशों की स्थिति पर शनि तथा गुरु की मंगल और शुक्र पर विशेष दृष्टि है। गुरू और शनि के इस वक्रावधि काल में यूरोपीय देशों में कहीं दुर्भिक्ष की स्थिति बनेगी । फ्रांस आदि में अकस्मात् राष्ट्रनायक के विरुद्ध सेना या आतंकवाद प्रभावी होंगें।

 राष्ट्रभंगं विजानियात वैरोपद्रव संकुलम । कर्क राशि गतो जीवों यदा वक्री भवेतदा

इन दिनों कहीं राष्ट्रव्यापी आंदोलन, तो कहीं हत्याकाण्ड तो कहीं शासक विद्रोह तो कहीं सैन्यविद्रोह आदि विशेष घटनाएं देखने में आयेंगीं। जून से अगस्त के बीच यूरोपीय देशों में कहीं भारी तूफान (सुनामी ,टाइफून ,हैरिकेन ,साइक्लोन ,फलडस) या भूकम्प आदि का प्रकोप जान-माल के लिए हानिकारक हो सकता है । सितम्बर से दिसंबर 2015 तक यूरोपीय देशों में वैज्ञानिक क्षेत्र या स्पेस साईंस या जीव विज्ञान में नई उपलब्धियों को देने वाली है। इस बीच किसी प्रभावित व्यक्ति के अपदस्थ होने का भी योग है। यूरोपीय प्रतिष्ठित देशों इंग्लैण्ड, फ्रांस, यूक्रेन के लिए यह वर्ष आंतरिक समस्याओं से उलझनपूर्ण रहेगा। ब्रिटेन की टोरी पार्टी को आगे निर्वाचन में भारी क्षति एवं पराजय का सामना पड़ सकता है। इस देश के प्रवासियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। साथ ही यूरोपियन यूनियन के कुछ देश राजनैतिक स्थिति के कारण और अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए अलग होने पर मजबूर हो सकते हैं। अर्थात् यूरोपीय देशों की जनता को संवत 2072 में सुखद एवं दुखद घटनाओं से रूबरू होना पड़ेगा ।

भारत पर प्रभाव- भारत के पश्चिमी, ऊत्तर-पश्चिमी तथा सीमावर्ती प्रदेशों की सीमाएँ शत्रुराष्ट्रों के अतिक्रमण से आक्रान्त दिखेगी। भारत के समक्ष पूर्वी, उत्तरी एवम् पश्चिमी हिस्से घुसपैठ तथा भौगोलिक विवाद चुनौती बनकर उरेगी। परन्तु भारत दृढ़ता पूर्वक इनका सामना करने और विजय प्राप्त करने में सफल होगा। मई-जून के महीने में पूर्वी तथा मध्य भारत में राजनैतिक-सामाजिक टकराव की स्थिति बनेगी। वर्ष के मध्य में पड़ोसियों से सैन्य टकराव एवम् घुसपैठ जन्य युद्ध की आशंका बनेगी। किसी विशिष्ट नेता के विछोह का दुख झेलना पड़ सकता है।

शेयर बाजार में तेजी तथ मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी से वर्ष प्रारम्भ होगा। आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि तथा पूर्वोत्तर भारत में हिंसक घटनाओं के साथ ही प्राकृतिक प्रकोप की आशंका रहेगी। राजनैतिक वातावरण अविश्वासपूर्ण, अस्थिर तथा गतिरोधयुक्त होने से कल्याणकारी योजनाओं को गति नहीं मिल पाएगी। देश के कुछ प्रदेशों में बदलाव होंगें। सत्तासीन दल को अनेक संघर्षों का सामना करना होगा। उद्योग जगत को तमाम आश्वासनों के बावजूद औद्योगिक सरप्लस तथा उत्पादन की चुनौतियाँ बनी रहेंगी।

ऋतुएँ विपरीत होंगी, प्राकृतिक प्रकोप का कष्ट झेलेंगे, वर्षा अल्प एवं विशेष होगी, बाढ़ से नुकसान होगा, भूकम्प एवं भूस्खलन से जान धन की हानि होगी, प्रत्येक मास में वर्षा देखने को मिलेगी, पहाड़ों पर भारी हिमपात होगा, मैदानी भाग ओलावृष्टि से पीड़ित होंगें। कश्मीर समस्या की सिरदर्दी बनी रहेगी,

किन्तु उत्तरार्ध में सौम्य संवत्सर का प्रवेश होने से राहत की उम्मीद अवश्य होगी।

जायन्ते सर्वधान्यानि स्वस्थम् च निरुपद्रवम्।सौम्यवृष्टि वरारोहे सौम्ये सौम्यम् प्रजायते।।

अच्छी कृषि तथा आरोग्य दायक सौम्य का प्रभाव अगस्त से वर्षपति के मार्गी होने से दृष्टिगोचर होगा। स्वास्थ्य, श्रीवृद्धि तथा अनुकूल शरद देश के लिए अच्छी सूचनाएं लाएगा। रोहिणीनिवास समुद्र तट पर, संवत्सर निवास धोबी के घर तथा नवमेघों में वरुण का वर्ष पर प्रभाव होने से अच्छी किन्तु पूर्वी मैदानी भाग में अतिवृष्टि के योग बन रहे हैं। आर्द्राप्रवेश मध्य रात्रि में होने से शारदीय-अगहनी फसलें तथा आगामी वर्ष में वासन्तिक फसलों का उत्पादन संतोषजनक होगा।
 
श्रीरस्तु...
 

Friday, March 13, 2015

वक्री पापा अति क्रूरा...


वृश्चिक राशि में शनि, शनिवार,14 मार्च 2015 को शाम 8.21 से 01 अगस्त 2015 तक वक्र गति से गतिमान रहेगे।

प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर अपने अक्ष पर चक्रण ( SPIN) करते हुए अपनी परिक्रमण कक्षा में घूमता है। पृथ्वी के सापेक्ष जब ग्रह का चक्रण वामावर्त (ANTI CLOCKWISE) होता है तो ग्रह मार्गी कहे जाते हैं और जब दक्षिणावर्त (CLOCKWISE) चक्रण दिखता है तब ग्रह वक्री कहे जाते हैं। वास्तव में ग्रह अपने परिक्रमण पथ पर पृथ्वी के सापेक्ष प्रायः ही वामावर्त (ANTI CLOCKWISE) होते हैं, किन्तु परिक्रमण पथ की नाभि (FOCUS) के निकट बार दक्षिणावर्त (CLOCKWISE) चक्रण करते दिखते हैं।

ग्रहों के चक्रण से ही उनका पिण्ड-चुम्बकत्व क्षेत्र (MASS MAGNETIC FIELD) बनता है। सौरमंडल में अन्योनाश्रय होने से इसका प्रभाव पृथ्वी पर तथा पृथ्वी के जीव-जगत पर पड़ता है।

वक्री शनि का फल इस बार नए सम्वत्सर के राजा भी शनि ही हैं.. फलस्वरूप राजनेताओं में परस्पर विद्वेष, अविश्वास तथा आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे। मध्य-दक्षिण एशियाई देशों के राजनैतिक क्षेत्र मे उथल-पुथल मचेगी। पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के चरमराने से विश्व आर्थिक मन्दी की चपेट में आ सकता है। कृषि उत्पादनों में भारी कमी से खाद्य महँगाई में लगातार वृद्धि की आशंका है। भूकम्प तथा भयंकर समुद्री तुफानों से हानि की आशंका है।

राशियों पर प्रभाव

मेष

अष्टमस्थ शनि ढैया के कारण शुभ नहीं हैं।

वक्री होने के कारण कार्यों में बाधाओं की आशंका है।

कार्य-स्थल पर आपकी गुणवत्ता में कमी आएगी।

मानसिक अस्थिरता के कारण निर्णय क्षमता प्रभावित होगी

परिजनों से सम्बन्धों में खटास आ सकती है।

नया कार्य शुरू करने से बचें तथा कोई नया अनुबन्ध न करें।

आँतों की समस्या से सतर्क रहें

प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जप करें

वृष

पारिवारिक जीवन में विवाद उत्पन्न होंगे।

मन में उत्साह बनी रहेगा।

अंतिम समय में कार्य स्थगित होंगे।

नौकरी पेशा वालों को तरक्की के योग बनेंगे।

मानसम्मान में कमी आएगी।

व्यापारिक साझेदारी के विवाद सुलझेंगे।

जीवन साथी से अलग रहना पड़ सकता है।

हर शनिवार छाया दान करें।

मिथुन

मुकदमों में विजय के योग हैं।

स्वास्थ्य में सुधार होता दिखेगा।

किसी बड़े काम से जुड़ा निर्णय फायदा देगा।

प्रेम सबंधों में निराशा होगी।

शत्रु पराभूत होंगे।

क़र्ज़ को लेकर चिन्ता में कमी आएगी।

श्री हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें।

कर्क

निजी जीवन में असंतोष रहेगा।

मनोबल में कमी न आने दें।

संतान पक्ष से चिन्ता हो सकती है।

पूजा-पाठ में मन नहीं लगेगा

गर्भवती महिलाएँ सेहत को लेकर सावधान रहें।

सम्मान में कमी की आशंका है।

निर्णय लेने में शीघ्रता न करें।

काला कपड़ा शनिवार को गरीबों को दान दें।

सिंह

जीवन-साथी आपकी अवहेलना कर सकता है।

अत्यधिक व्यय से मन क्षुब्ध होगा।

परिवार के प्रति उदासीनता जन्म ले सकती है।

माता की सेहत चिन्ताजनक होगी।

मन दुविधाग्रस्त होने से निर्णय गलत हो सकते हैं।

कार्य-स्थल पर लोगों से कम निभेगी

चोट-चपेट की आशंका है।

नित्य सुंदर कांड का पाठ करें।

कन्या

पराक्रम में वृद्धि होगी।

निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी।

परिवार में मतभेद सुलझेंगे।

यात्राओं में अत्यधिक व्यय की आशंका है।

पैतृक व्यवसाय में वृद्धि के योग हैं।

अविवाहितों के लिए रिश्ते आएंगे।

विदेशी सम्बन्धों का लाभ मिलेगा।

हनुमान जी को शनिवार को चमेली का तेल अर्पित करें।

तुला

यात्रा में कीमती सामान खो सकता है।

शेयर-सट्टे आदि से हानि की आशंका।

उधार न दें अन्यथा समय पर वापस नहीं मिलेगा।

व्यवहार को संयत बनाएँ रखें।

नौकरी बदलने अथवा नया व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिलेगा।

सांस की तकलीफ़ हो सकती है।

पीपल के पेड़ के नीचे सुबह जल दें तथा शाम को तिल के तेल का दीपक जलाएं।

वृश्चिक

वाणी कठोर हो सकती है, नियन्त्रण रखें।

स्वास्थ्य पर व्यय वृद्धि के योग हैं।

सहकर्मियों से विवाद और कार्य-स्थल पर अविश्वास बढ़ेगा।

कागज़ी दस्तावेजों पर दस्तख़त करते समय सावधान रहें, धोखा होगा।

जमीन-मकान से सम्बन्धित कोई विवाद उभरेगा।

रक्तचाप की बीमारी उभर सकती है।

19 शनिवार लगातार छाया दान करें।

धनु

विदेश यात्रा व्यर्थ होगी।

घर में चोरी होने की आशंका है।

कर्ज लेने की स्थिति बनेगी।

पूँजी निवेश से बचें, धोखे की आशंका है।

पानी तथा वाहन से दुर्घटना के दुर्योग हैं।

घुटनों में दर्द की शिकायत हो सकती है।

श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।

मकर

आय के निश्चित स्रोत बनेंगे।

पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि के आसार हैं।

मनोनुकूल स्थानान्तरण की सम्भावना बनेगी।

व्यापारिक आय में बढ़ोत्तरी होगी।

कार्य सम्बन्धी भाग-दौड़ में वृद्धि होगी।

अति उत्साह में निर्णय लेने से बचें।

सोमवार को भगवान शंकर को काला तिल युक्त दूध चढ़ाएँ

कुम्भ

रुका प्रोमोशन मिलेगा।

दूर देशों के लोगों से व्यावसायिक संपर्क स्थापित होंगे।

कार्य-क्षेत्र में अधिकारियों के कोप भाजन बन सकते हैं।

अधीनस्थ कर्मचारियों का भरपूर समर्थन मिलेगा।

पुरस्कार की प्राप्ति होगी।

भूमि में निवेश हानि दे सकता है।

शिवप्रदोष में पंचामृत से रुद्राभिषेक करें।

मीन

राजनैतिक सम्बन्धों में सुधार के लक्षण हैं।

छोटी-छोटी व्यापारिक यात्राएँ करेंगे।

कर्ज वापसी के योग हैं।

मित्रों से मनमुटाव की आशंका है।

मित्र आपसे सहायता की अपेक्षा रखेंगे।

ज्वर-शिरोपीड़ा की समस्या बनेगी।

प्रत्येक शनिवार काला उड़द दान करें।