Friday, May 31, 2013

मानसून की वृथा आशा....


31 मई 2013 को मिथुन राशि में गुरू का बुध-शुक्र से मेल दक्षिण-पश्चिम में अतिवृष्टि योग बना रहा है। राजनेता आपसी विद्वेश के कारण शिष्टाचार की सीमाएँ लांघेगे। उपयोगी वर्षा में कमी  होगी जिससे फसलों की हानि का संकट बना है।
मिथुने च गुरुर्याति तत्राब्दे दारुणं भयं।
नृपाणां विग्रहस्तत्र मेघा स्वल्प जलप्रदाः।।
जून महीने में जहाँ भयंकर गर्मी से उत्तर-पश्चिमी प्रान्त हलकान होंगे वहीं उड़ीसा, मुम्बई, केरल, आसाम, शिलॉंग, भूटान, में भारी वर्षाजनित संकट के योग हैं।
सम्वत् 2070 में नवमेघ समुच्चय का तम नामक मेघ है। समय पर वर्षा न होने और असामयिक वर्षाजन्य अनेकानेक रोगों से जनजीवन परेशान होगा। चतुर्मेघों में संवर्तक मेघ दक्षिण प्रान्तों में बाढ़ और सुनामी की भयावह स्थिति के संकेत देता है।
ऐसे ही लक्षण इस वर्ष प्रभावी विवह नामक वायु के भी हैं। दक्षिणी-पश्चिमी समुद्रतटवर्ती भूभाग समुद्री तूफानों, भूकम्पों, और भूमध्यगत वायुतरंगों की विभीषिका से आक्रान्त होगा  तथा दक्षिण प्रान्तों (उड़ीसा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल आदि) में कहीं-कहीं विनाशकारी बाढ़ जनजीवन को अस्त-व्यस्त करता दिख रहा है। वैसे भी इस वर्ष रोहिणी का समुद्र में वास वायुवेग, समुद्री तूफान तथा भूकम्पों से हानि की आशंका देता है।
सम्वत् 2070 विक्रमाब्द यानि वर्तमान पराभव संवत्सर में सूर्य के आर्द्रा-प्रवेश कालीन ग्रहीय स्थिति के अनुसार वृश्चिक राशिस्थ चन्द्रमा पर वृषस्थ मंगल की दृष्टि जल शोषक है, जो अनेक भारतीय प्रान्तों, विशेषकर उत्तर भारत में वर्षा का संकट उत्पन्न करेगी। साथ ही शनि-राहु का लग्नस्थ मंगल से षडाष्टक योग, मंगल से दूसरे भाव मिथुन राशि में बुध, गुरू और शुक्र के साथ सूर्य की उपस्थिति इस वर्ष देश के कुछ प्रान्तों में अकाल तो दक्षिण प्रान्तों (उड़ीसा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल आदि) में कहीं विनाशकारी बाढ़ तथा सागर तटवर्ती भूभाग पर समुद्रजन्य विनाश से भयंकर हानि के संकेत हैं।
उत्तर-पूर्वी तथा पूर्वी प्रान्तों में भीषण प्राकृतिक प्रकोपों (कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे) से खड़ी फसलों के नष्ट हो जाने के कारण जनसामान्य के कष्टों में वृद्धि की आशंका है।
वह्नि-वेदाष्ट-नन्देन्द्रा एतत् संख्यासु भास्करः।
तिथिषु आर्द्राम् यदा याति कष्टदः शेषके शुभः।।
ईश्वर की कृपा और प्रजारंजक भावना से सरकारें सचेत रहें और संकट के क्षण टल जाएँ- ईश्वर से इसी प्रार्थना के साथ..... पं. शील भूषण शर्मा