Monday, October 27, 2014

दीपावली और वास्तु

सद्गृहस्थों के लिए महावसना पूजन के शुभ मुहूर्त
1) गोधुलिकाल में 5.19 से 5.39 तक (मेष लग्न, शुभ चौघड़िया)
2) प्रदोष काल में 5.39 से 6.55 तक (मेष लग्न, शुभ चौघड़िया 6.30तक, फिर अमृत चौघड़िया)
3) 6.55 से 8.50तक स्थिर वृष लग्न तथा 8बजे तक अमृत चौघड़िया
घर के प्रवेशद्वार पर रंगोली, दोनों ओर स्वास्तिक तथा घर के अंदर आते पाँवों के लाल निशान बनाएँ। घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तुदोष का प्रभाव कम होता है।
पूजास्थल को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगें। ये रंग शांति, पवित्रता और आध्यात्मिक प्रगति के प्रतीक हैं।
पूजन ईशान कोण में करें, भगवान गणेश की मूर्ति को हमेशा माँ लक्ष्मी की मूर्ति के बायीं ओर रखें, माँ सरस्वती को दाहिनी तरफ रखें।
मूर्तियों को ईशान कोण में रखें, पानी की छवि एवं कलश को पूजा स्थल की पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। देवी-देवताओं की मूर्तियां तथा चित्र पूर्व-उत्तर दीवार पर इस प्रकार रखें कि उनका मुख पश्चिम दिशा की तरफ रहे अथवा मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए। घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं, किंतु प्रतिमा लगाते समय यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं हो। इसका विपरीत प्रभाव होता है।
घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणेशजी का चित्र लगाना चाहिए। किंतु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों, इससे कार्य में स्थिरता आने की संभावना रहती है।
कमलासना देवी की उपासना के लिए लाल आसन के नीचे कुम्हार, विमौट अथवा खेत की मिट्टी रखें
कुम्हार के चाक पर बने चौदह दीये चौदह रत्नों के लिए, पाँच दीये गंगादि पवित्र नदियों के लिए, इष्टदेवता, कुल देवता, ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों के लिए ग्यारह दीये तथा एक दीया तुलसीजी के लिए (कुल 31 दीये) घी के रखें... पाँच लोकपाल, दस दिक्पाल, 33 वसु आदि देवों के लिए, तथा तीन ग्राम, स्थान और वास्तु देवों के लिए (कुल 51 दीये) तिल के तेल के लिए रखें.....इसे ही दीपमालिका कहते हैं...
घर के बाहर चारों दिशाओं में चार-चार दीए एक साथ...लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इन्द्र के लिए
घर में, सीढ़ियों पर, चारदीवारी पर, बरामदे, टैरेस और आस-पास तिल अथवा सरसों के तेल के दीए ही जलाएँ.... इनके प्रकाश से मिलकर कॉस्मिक-चुम्बकीय उर्जा हमारे अनुकूल तथा इनकी सुगन्ध से वातावरण वायरस के प्रतिकूल हो जाता है
सबसे अधिक दीए दक्षिण-पश्चिम में, उत्तर-पश्चिम में सबसे कम दीए रखें