Friday, April 3, 2015

श्रीमद्हनुमज्जयन्ती


दारिद्र्य दुखदहनम् विजयं विवादे कल्याणसाधनममंगलवारणम् च।

दाम्पत्य दीर्घसुख सर्वमनोरथाप्तिम श्री मारुतेः स्तवमहो नितरां तनोति।।

विद्या-बुद्धि-चातुर्य के निधान, वेदज्ञों में अग्रगण्य, सर्वशास्त्र-पारंगत, अजेय-असीम पराक्रम के मूर्तरूप, अष्टसिद्धि-नवनिधि के दाता, रामरसायन के एकमात्र ज्ञाता, माता अंजनी तथा माता सीता के लाड़ले, मर्यादा पुरुषोत्तम के अनन्य सखा-भाई-भक्त-सेवक और आर्तजीवमात्र के अनन्य आश्रयस्थल शरणागतवत्सल श्रीहनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, मंगलवार को स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में हुआ था।

कार्तिकस्यासिते पक्षे भौमे स्वात्यां चतुर्दशी। मेष लग्ने अंजनी गर्भात् प्रादुर्भूतो शिवः स्वयम्।।

कथा है कि, शैशवावस्था में सूर्यग्रहण के कारण कुपित देवराज के वज्रप्रहार से मुर्छित हनुमान को पवनदेव ने दक्षिण में अज्ञात कन्दरा में छुपा दिया था और स्वयम् भी शान्त बैठ गए थे। देवताओं के आशीष से चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमानजी की मुर्छा टूटने पर माता अंजना ने वहाँ पहुँचकर उसी दिन प्रथम बार स्तनपान कराया था। अतः दक्षिण भारत में चैत्र पूर्णिमा ही भगवान के आविर्भाव दिवस के रूप में मनायी जाती है। श्रीहनुमद्भक्तों के लिए दोनों ही दिन महापर्व के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

भगवान की शरणागति प्राप्ति के लिए इस दिन ब्राह्ममुहूर्त में उठकर नित्यक्रिया से निवृत होकर हनुमद् पूजन का संकल्प लें। भगवान की प्रतिमा, चित्र, अथवा श्रीरामदरबार को प्रतिष्ठित करें। दिन भर उपवास कर, श्री हनुमत् स्तोत्रों-मंत्रों का पाठ करें। शाम को सूर्यास्त के बाद हाथ में लाल फूल-अक्षत लेकर श्रीहनुमानजी का ध्यान कर हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्का जप करते हुए अर्घ्य, पाद्य और आचमन के लिए गंगाजल निवेदित करें। सामर्थ्य के अनुसार सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा आदि चढ़ाएँ। फिर श्रीहनुमानजी के द्वादश नामों का स्मरण करते हुए,

हनुमान्(1) अंजनीसूनुः(2) वायुपुत्रो(3) महाबलः(4) रामेष्टः(5) फाल्गुनसखः(6) पिङ्गाक्षः(7) अमितविक्रमः(8)।। उदधिक्रमणः(9) चैव सीताशोकविनाशनः(10) लक्ष्मणप्राणदाता(11) च दशग्रीवस्य दर्पहा(12)।।........ तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।। (आनन्द रामायण)

मूंज की जनेऊ, केसर मिला हुआ चन्दन, हज़ारा, गुलाब, कमल, चमेली, लाल-पीले कनेर, गुड़हल आदि के फूल, तुलसीदल अथवा माला, गुगल-धूप-अगरबती, घी का दीपक, गुड़-चना, मीठे रोट, पुए तथा बूँदी के लड्डु का भोग अर्पित करें। हनुमानजी को नारियल और लाल पेड़े का भोग भी लगता है। पूजनोपरान्त मारुतिनन्दन का ध्यान करते हुए अपनी राशि-अनुसार मंत्र जप करें या मंत्र से सम्पुटित सुन्दरकाण्ड का पाठ करें। कपूर तथा कपास की बाती से आरती करें। भगवान की अनन्यकृपापात्रता प्राप्त होगी।

राशि अनुसार सम्पुट-मंत्र

मेष

औत्तानपादिसुखप्रियाय रां रामाय नमः का जप करें

वृष

कोदण्डिने धर्मपालकाय रां रामाय नमः का जप करें

मिथुन

करुणामयविग्रहाय रां रामाय नमः का जप करें

कर्क

कौशल्यागर्भसम्भवाय रां रामाय नमः का जप करें

सिंह

नन्दिकेश्वरपूजिताय रां रामाय नमः का जप करें

कन्या

जानकीप्राणवल्लभाय रां रामाय नमः का जप करें

तुला

त्रैलोक्यवशकारकाय रां रामाय नमः का जप करें

वृश्चिक

दशरथात्मजाय वीराय रां रामाय नमः का जप करें

धनु

गुरुयज्ञाधिपालकाय रां रामाय नमः का जप करें

मकर

पवनात्मजवन्द्याय रां रामाय नमः का जप करें

कुम्भ

रघुनन्दनाय रामभद्राय रां रामाय नमः का जप करें

मीन

शिवार्चिताय वरदाय रां रामाय नमः का जप करें

 

 

 

 

 

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