यह वर्ष मिश्रित फलदायी रहेगा।
शनि की अष्टम ढैया का प्रभाव बना हुआ है।,
वर्षारम्भ में राशीश की स्वगृही शुभदृष्टि से पुरुषार्थ में
वृद्धि होगी,
(फरवरी के अन्त और मार्च में राशीश मंगल 12वें रहेंगे)
इस समय व्यर्थ की भागदौड़ बनेगी,
आय के स्थिर साधनों के बीच अकस्मात् खर्च बढ़ेंगे,
दूसरे वर्षार्ध में सेहत पर (विशेषकर आँख, रक्तचाप) विपरीत
असर की आशंका
स्वजनों के बीच सम्मान बढ़ेगा
नौकरी में परिवर्तन और पदोन्नति के योग हैं
हनुमानजी की पूजा और सुन्दरकाण्ड का पाठ श्रेयस्कर होगा।
वृष राशि......
शनि की सप्तम और मित्रदृष्टि बनी रहेगी,
शुक्र की स्वगृही दृष्टि से वर्ष की शुरुआत होगी,
वर्ष के पूर्वार्ध में उच्चप्रतिष्ठित लोगों से लाभ की
सम्भावना है,
राशीश के अष्टम गोचर के प्रभाववश रक्तविकार की चिन्ता देगा
व्यय में बढ़ोत्तरी होगी
वर्ष के उत्तरार्ध में कुछ बिगड़े कार्यों में सुधार होगा,
धनागमन के साधनों में सुधार होगा
नवीन विचार और योजनाएँ यशस्कर होंगी,
नए मकान, वाहन पर खर्च बढ़ेंगे,
महालक्ष्मी की आराधना तथा श्रीसूक्त का पाठ लाभकारी होगा
मिथुन राशि.....
आरम्भ में राशीश अष्टमगत रहेंगे।
स्वास्थ्य हानि और मानसिक तनाव की आशंका,
(मार्च में नवमगत बुध) उच्चप्रतिष्ठित लोगों से सम्बंध
बनेंगे,
(दूसरी तिमाही में बुध के शुभगोचर और मंगल की दृष्टि)
परिश्रम और पुरुषार्थ में वृद्धि
धर्म-कर्म में रुझान बढ़ेगा
उत्तरार्ध में अकस्मात् धनलाभ के संयोग हैं,
मान-सम्मान में वृद्धि होगी
बिगड़े कार्यों में सुधार होगा,
संकष्ट श्रीगणेशचतुर्थी का व्रत करें
कर्क राशि.....
(वर्षारम्भ में बुध और सूर्य की क्रमशः शत्रुदृष्टि)
स्वास्थ्यविकार की आशंका है,
कार्यों में रुकावटें आएँगी,
परिवार में तनाव के संकेत,
द्वितीय तिमाही में आयवृद्धि के योग हैं,
समझदारी से योजनाओं के क्रियान्वयन से लाभ होगा,
उत्तरार्ध में क्रोध पर नियंत्रण आवश्यक होगा,
सम्मान में वृद्धि होगी,
चोट-चपेट के दुर्योग हैं,
आय में वृद्ध होगी,
भगवान शंकर की पूजा और लघुमृत्युंजय का जप करें
सिंह राशि......
(शनि की ढैया का प्रभाव रहेगा)
गुरू के संचरण से व्यवसाय में लाभ के अवसर मिलेंगे,
पदोन्नति के सुयोग हैं,
नवीन कार्ययोजना लाभदायक होगी,
घरेलु परेशानियाँ चिन्ताकारक होंगी,
प्रयास और धैर्य से बिगड़े कार्य बनेंगे,
अष्टमस्थ सूर्य मार्च में रोड़े अटकाएगा,
उत्तरार्ध में गुप्त शत्रुओं से सतर्कता आवश्यक है,
माता-पिता का स्वास्थ्य अच्छा होगा,
देशाटन के योग हैं.
भगवान सूर्य की आराधना और आदित्यहृदय का पाठ करें
कन्या राशि....
वर्षारम्भ में राहु का गोचर अनिष्टकारी है,
(परन्तु शुरुआत में ही बुध का शुभगोचर)
नवीन दीर्घ योजनाएँ लाभ देंगी,
तात्कालिक व्यापारिक लाभ में कमी के संकेत,
नौकरीपेशा लोगों की वेतन में वृद्ध के योग,
लेकिन स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चे बढ़ेंगे,
पहली छमाही के उत्तरार्ध में बाधाओं से मानसिक अशान्ति,
वर्ष के उत्तरार्ध में गुरु और राहु का गोचर शुभद,
बिगड़ी परिस्थियों पर अनायास नियंत्रण होगा,
धार्मिक आयोजनों में व्यस्तता बढ़ेगी,
एकादशी के व्रत ओर गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करना लाभदायक होगा,
तुला राशि...
शनि की उतरती साढ़ेसाती का असर रहेगा,
घरेलू तनाव और चिन्ताएँ प्रभावी होंगी,
वर्षारम्भ में कार्यक्षेत्र में संघर्षपूर्ण स्थिति बनेगी,
आपका पुरुषार्थ फलेगा,
क्रोधधिक्य से बचना चाहिए,
उत्तरार्ध में शुक्र का गोचर मान-सम्मान में वृद्धि करेगा,
धन-लाभ के अवसर मिलेंगे,
स्वास्थ्य संबंधी चिन्ताएँ मिटेंगी,
परिवार में मांगलिक कार्य होंगे,
श्रीहनुमानजी की आराधना और शनि का व्रत आपत्तियों से रक्षा
करेगा,
वृश्चिक राशि....
शनि का राशिसंचार से साढ़ेसाती का प्रभाव बना हुआ है,
प्राम्भ में व्यर्थ की यात्राओं के योग हैं,
विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाएँ रहें,
क्रोध और तनाव बढ़ेंगे,
किन्तु मंगल-शनि का गोचर मान-सम्मान में वृद्धि करेगा,
धनलाभ के अवसर बनेंगे,
उत्तरार्ध में स्वभाव के चिड़चिड़ेपन पर नियंत्रण रखें.,
उत्तरार्ध में उच्च का मंगल परिस्थितियों में अनुकूलता
लाएगा,
पराक्रम में वृद्धि होगी,
पदोन्नति के कारण हताशा जाती रहेगी,
मंगलवार के व्रत और दुर्गाकवच का पाठ करें,
धनु राशि.....
शनि की चढ़ती साढ़ेसाती का प्रभाव वर्षभर बना हुआ है,
किन्तु राशिस्वामी का नवम संचार शुभकार्यों में व्यस्त
रखेगा,
नौकरी में स्थिरता आएगी,
आय के साधनों मे वृद्धि होगी,
घर में खुशी का माहौल रहेगा,
संतान संबंधी चिन्ताएँ मिटेंगी,
दाम्पत्य में सुधार होगा,
वर्षान्त में गुरू के शत्रुगोचर से दौड़भाग ज्यादा करनी
होगी,
खर्च पर नियंत्रण से कर्ज लेना नहीं पड़ेगा,
शिवप्रदोष के व्रत और रुद्राभिषेक फलदायी होगा
मकर राशि....
वर्षभर राशिस्वामी की दृष्टि रहेगी,
मान-सम्मान में वृद्धि होगी,
सूर्यसंचरण खर्चों में वृद्धिकारी होगा,
(मई-जून में सूर्य-शनि समसप्तक होंगे)
निकट के परिजनों से मनमुटाव से बचें,
क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा,
संतानलाभ के अवसर हैं,
उत्तरार्ध में सरकारी कार्यों में सतर्कता आवश्यक है,
आय की वृद्धि के योग हैं,
आकस्मिक खर्च परेशानी में डाल सकते हैं,
व्यापारिक होड़ से बचना ठीक रहेगा,
मंगल के व्रत और सुन्दरकाण्ड के पाठ करें,
कुम्भ राशि....
वर्षार्ध में गुरू की सप्तम दृष्टि रहेगी,
लेकिन राशीश शत्रुगृही संचरित हैं,
मान-सम्मान के लिए वृद्धि के संकेत हैं,
उच्चपदस्थ लोगों से संबंध प्रगाढ़ होंगे,
खर्चों में बढ़ोत्तरी बनी रहेगी,
आय के साधनों में रुकावटें आएँगी,
निकटस्थों से मनमुटाव ना होने दें,
उत्तरार्ध में गुरू-राहु का गोचर आय में वृद्धि देगा,
भाग्य का साथ मिलने से रुकावटें दूर होंगी,
व्यापारियों के लिए अनुकूलता आएगी,
राजकीय अड़चनें दूर होंगी,
शिवरात्रि के व्रत और श्रीशिवमहिम्न का पाठ करें
मीन राशि....
(वर्षारम्भ में केतु के राशि में तथा राशिस्वामी का 6ठे भाव
में वक्री गोचर)
संघर्षपूर्ण परिस्थितियाँ बनेंगी,
आय में कमी के संकेत हैं,
व्यावसायिक उलझनें भी बनेंगी,
मानसिक तनाव के कारणों पर ध्यान देना आवश्यक होगा,
केतु का राशि परिवर्तन उत्साह बढ़ाएगा,
(उत्तरार्ध में राशीश की स्वगृही दृष्टि होगी),
धार्मिक कार्यों में रुचि जगेगी,
तीर्थाटन के योग बनेंगे,
परिवार में मांगलिक कार्य होंगे,
नौकरी में अनुकूल परिवर्तन होंगे,
व्यावसायिक सोच में वृद्धि होगी,
गुरूवार का व्रत और नमो भगवते वासुदेवाय का जप कल्याणकारी
होगा,
मूलांक से 2016...
मूलांक 1... (1, 10,
19, 28)
इस वर्ष सूर्य-केतु सम्बन्ध राह की रुकावटें दूर करेगा,
18 अक्टूबर से 16 नवम्बर के बीच आर्थिक जोखिम लेने से बचें
मूलांक 2...(2, 11,
20, 29)
चाँदी, दूध और इससे बने पदार्थों के व्यवसायी, सेल्समैन
थोड़ी सावधानी रखें,
चं.-केतु के इस वर्ष व्यापार में बड़ों की सलाह सुनना
हितकारी होगा,
मूलांक 3...(3, 12,
21, 30)
गुरू-केतु की मित्रता से अविवाहितों के लिए अच्छे वैवाहिक
योग बनेंगे,
नौकरी और प्रतियोगिता में सफलता के योग हैं,
मूलांक 4....(4, 13,
22, 31)
राहु-केतु से प्रभावित होने के कारण काफी परिश्रम से सफलता
मिलेगी,
जमीन-जायदाद के मामलों में जल्दबाजी नुकसान देगी
मूलांक 5...(5, 14
,23)
बुध और केतु के प्रभाववाला वर्ष काफी खुशियाँ लाएगा,
विद्यार्थियों के लिए उत्तम समय है,
मूलांक 6.....(6,
15, 24)
शुक्र-केतु सम्बन्ध वाला यह वर्ष मेडिकल, इंजीनियरिंग,
फैशन, मॉडलिंग से जुड़े लोगों को सफलता देगा,
आय के साथ व्यय भी बढ़ेगा
मूलांक 7....(7, 16,
25)
वरुण-केतु की युति होने से यह वर्ष नैयायिक सफलताओं का वर्ष
है,
लेकिन रक्तविकार, कफ और श्वाँस से सम्बन्धित बीमारियों से
बचाव करें
मूलांक 8...(8, 17,
26)
सामाजिक प्रतिष्ठा और पदोन्नति के अवसर मिलेंगे,
शनि-केतु से सम्बन्धित वर्ष में साझेदारी में सतर्कता बनाएँ
रखें
मूलांक 9.....(9, 18
,27)
मंगल-केतु से प्रभावित वर्ष का पहला और तीसरा भाग लाभदायक
होगा,
पदोन्नति, कोर्ट-कचहरी, भूमिविवाद आदि में सफलता मिलेगी
नामाक्षर से.....
A. अर्थ संबंधी कार्यों में सफलता मिलेगी
अधिकारियों से परिचय का लाभ मिलेगा
B. सुखद भविष्य का स्वप्न साकार होगा
कठिन कामों में सोच-समझकर हाथ डालें
C. कार्य की गति बढ़ेगी
विचारों में सकारात्मकता रखें
D. कार्यों में
विलंब से सफलता मिलेगी
रुका धन मिलेगा
E. क्रोध, उत्तेजना पर संयम रखें
स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें
F. किसी के भरोसे न रहकर अपना कार्य स्वयं करें
यात्राएँ फलदायक रहेगी
G. किसी विशेष कार्य के बन जाने से हर्ष होगा
रचनात्मक कार्यों से श्रीवृद्धि होगी
H. महत्वपूर्ण कामों में दूसरों के हस्तक्षेप से नुकसान की
आशंका
आर्थिक स्थिति मध्यम होगी
I. नौकरी में पदोन्नति के योग हैं
समाज, परिवार
में प्रशंसा मिलेगी
J. संतान के व्यवहार से चिन्ता होगी
आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी
K. योजनाएँ फलीभूत होंगी
व्यवसाय में उन्नति होगी
L. जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रह सकती है
प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मेल-जोल बढ़ेगा
M. धर्म में रुचि बढ़ेगी
नवीन योजनाओं से लाभ होगा
N. आकस्मिक लाभ से मन प्रसन्न होगा
कार्य का विस्तार कर पाएँगे
O. पारिवारिक समस्याओं की अनदेखी न करें
नए कार्यों के साथ जुड़ने का योग बनेगा
P. कार्य में विलंब की आशंका है
संघर्षपूर्ण वातावरण में काम करना होगा
Q. पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा
आर्थिक चिंता से मुक्त होंगे
R. दिनचर्या व्यवस्थित रहेगी
संघर्षपूर्ण वातावरण में काम करना होगा
S. कठिन कामों में सोच-समझकर ही हाथ डालें
संतान संबंधी काम पूरे होंगे
T. क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें
शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य बना रहेगा
U. पारिवारिक सदस्यों के साथ आनंदपूर्वक समय बीतेगा
आर्थिक मामले में अच्छी प्लानिंग कर सकेंगे
V. आपकी कला की कद्र होगी
वर्ष प्रसन्नता भरा रहेगा
W. शासन की तरफ से लाभ के संकेत
वैवाहिक जीवन का उत्तम सुख मिलेगा
X. संयमशीलता बहुत से अनिष्टों से बचाएगी
व्यापारिक आयोजनों में व्यस्तता बढ़ेगी
Y. उदर रोग की आशंका
आध्यात्मिक चर्या से मानसिक शांति मिलेगी
Z. ऑफिस या घर में उत्तरदायित्वों का बोझ बढ़ेगा
नए कार्य के सम्बंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे
सन् 2016 में भारत की आन्तरिक-सामाजेक परिस्थिति...
(वर्ष की शुरुआत में सूर्य-शनि त्रि-एकादश तथा गुरू-शुक्र
दृष्टिसंबंध)
जातीय उन्माद के कारण उपद्रव, झगड़े फसाद और विस्फोटक
घटनाओं के संकेत हैं,
राजनीतिक और सामाजिक माहौल अशान्ति कारक होगा,
आम जनता पर बोझ बढ़ने से अशान्ति फैलेगी,
न्यायिक हस्तक्षेप से कई योजनाओं का क्रियान्वयन जनोपयोगी
होगा,
माघमास में 5 सोमवार होने से प्रजा के कल्याणार्थ फरवरी में
अच्छी योजनाएँ आएँगी,
23 फरवरी से 23 मार्च तक फाल्गुन में 5 मंगल
हैं, मंगल-शनि योग होने से किसी बड़े राजनेता का दुखदायी बिछोह देश को शोकाकुल
करेगा, महंगाई, उपद्रव, अग्निकाण्ड तथा विस्फोटों से देश जूझता दिखेगा,
23 अप्रैल से 21 मई के वैशाख मास में 5 शनिवार हैं। इस कारण
भूकम्प, चक्रवाती तूफान और बादल-विस्फोट तथा यान दुर्घटनाओं के संकेत हैं।
हिमालयीन क्षेत्र तथा पश्चिमी तट में जानमाल के नुकसान के संकेत हैं,
भीषण रोगादि से त्रस्त-शोकाकुल जनता शासन के प्रति आन्दोलन
को बाध्य होगी, भीषण रेल दुर्घटनाएँ नई योजनाएँ बनाने को बाध्य करेंगी,
इस वर्ष उत्तरी भारत विशेषकर बिहार, असम, उ.प्र., काश्मीर
में छत्रभंग, हिंसक घटनाओं के संकेत हैं।
मध्यवर्ष में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में परिवर्तन के आसार
हैं, भारत के पश्चिमी प्रान्तों में आतंकवादी घटनाएँ घटित होंगी। अनाजों की
पैदावार अच्छी होगी, दूध, घी के मूल्यों में कमी के संकेत हैं, इन सबके बावजूद
जनोपयोगी वस्तु-मूल्यों में वृद्दि होगी,
वर्ष के उत्तरार्ध में अल्पवृष्टि के कारण फसलों का नुकसान
होगा, महंगाई आसमान चूमेगी,
15 नवम्बर से 13 दिसम्बर अगहन में 5 मंगलवार, सूर्य-शनि
सम्बंध देश के लिए अनिष्ट का संकेत दे रहे हैं। किसी प्रमुख राजनेता के अपदस्थ होने
अथवा आकस्मिक मृत्यु के संकेत हैं। उ.प्र., बंगाल, बिहार, जम्मू-कश्मीर आदि
प्रान्तों में अराजकता और साम्प्रदायिक हिंसा के दुर्योग बनेंगे
2016 के परिदृष्य में भारत ..
विश्व राजनीति में भारत का दखल और प्रभाव बढ़ेगा, महाशक्तियों
के बीच भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती जाएगी,
किन्तु सप्तम में केतु की उपस्थिति विदेशनीति में तनाव और
असमंजस की स्थिति बनाता दिख रहा है, भारत की विदेशनीति में निरन्तरता का अभाव
दिखेगा, भारत की प्रभावराशि का शत्रुराशिस्थ रहना पड़ोसी देशों के साथ वार्ता के
बावजूद विशेष फलद नहीं होगा, प्रशासनिक और संसदीय ढाँचे में मूलभूत परिवर्तन के
लिए केन्द्र मजबूर होगा, फिर भी महाशक्तियों के बीच भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती
जाएगी,
पंचमस्थ मुंथा और लग्न पर चंद्र-गुरू दृष्टि से भारत की
सामरिक क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि होगी, इको-फ्रेन्डली उर्जा, पर्यटन, हरित
उद्यम और लोकल कौशल से सम्बन्धित योजनाएँ क्रियान्वयित होंगी, तकनीकी क्षेत्रों
में उठाए गए कदम से देश की अर्थव्यवस्था स्थिर रहेगी,
बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी युवाओं में असंतोष, हिंसकता और
हताशा में वृद्धिकारी होगी,
खाद्यान्न की मूल्यवृद्धि का हल वर्षान्त तक अवश्य निकलेगा,
आर्थिक-अपराधियों पर नकेल कसने के सुखद परिणाम मिलेंगे, सोशल मीडिया के गलत उपयोग
की घटनाएँ सामाजिक संरचना बिगाड़ेंगी, नवीन किन्तु मौलिक योजनाओं से यातायात की
समस्या सुलझती दिखेगी,
औद्योगिक उत्पादनों में बढ़ोत्तरी होगी, दूरसंचार के साधनों
की गुणवत्ता में वृद्धि होगी,
मीडिया के क्षेत्र में स्थिरता आएगी, किसी बड़े कलाकार के
दुखद निधन से देश शोकाकुल होगा,
ईस्वी सन् 2016 में महाकुम्भ और ग्रहण.....
वर्ष 2016 में दो कुम्भ पर्व होंगे।
पूर्ण कुम्भयोग...
सिंह राशि के गुरू में जब सूर्य मेष राशि तथा चन्द्रमा
तुलागत होते हैं तो महाकाल की नगरी उज्जयिनी में पूर्ण कुम्भयोग बनता है।
मेषराशिगते सूर्ये सिंहराशौ बृहस्पतौ। उज्जयिन्याम् भवेत्
कुम्भः सर्वसौख्य विवर्धनः।।
वैशाख पूर्णिमा, शनिवार 21 मई को कुम्भयोग घटित होगा। इसी
दिन शाही स्नान भी होगा। उज्जयिनी में महाकुम्भ के अमृतयोग में एक ही दिन शाही
स्नान होता है।
बुधवार 13 अप्रैल से 21 मई 2016 तक कुल 9 प्रमुख स्नान
होंगे... 13 अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 3 मई, 6 मई, 9 मई, 11 मई, 17 मई तथा 21
मई को प्रमुख स्नान होंगे,
अर्धकुम्भ...
इस वर्ष 20 मार्च से 6 मई के बीच हरिद्वार में अर्धकुम्भ
आयोजित होंगे। अर्ध कुम्भयोग 13 अप्रैल दोपहर 1.23 से प्रारम्भ होगा।
अर्धकुम्भ में 9 प्रमुख स्नान हैं.. 20 मार्च 2016, 7
अप्रैल, 8 अप्रैल, 13 अप्रैल, 14 अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 3 मई, 6 मई
ग्रहण.....
ईस्वी सन् 2016 में कुल दो सूर्यग्रहण तथा दो उपच्छाया
चन्द्रग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse) घटित
होंगे।
प्रथम खग्रास सूर्यग्रहण, जो भारत में दृष्य होगा, 9 मार्च
2016, फाल्गुन अमावस्या, बुधवार को प्रातः 4.49 से 10.05 तक रहेगा। ग्रस्तोदित
सूर्योदय के कारण स्पर्श के 12 घण्टे इसका सूतक 8 मार्च की सायम् 4.49 से प्रारम्भ
हो जाएगा। यह ग्रहण उत्तरपश्चिमी और पश्चिमी भारत में दिखाई नहीं देगा।
दूसरा कंकण सूर्यग्रहण 1 सितम्बर, 2016, भाद्रपद अमावस,
गुरुवार को होगा, जो भारत में घटित होगा।
2016 का ब्रह्मास्त्र...
भयंकर संकट में सम्पूर्ण परिवार हो, आशा की किरण नहीं दिख रही हो तथा सहायता के लिए
दूर-दूर तक कोई नहीं हो तो इस वर्ष संकल्पपूर्वक प्रत्येक एकादशी को नियम-संयम से
व्रताचरण करें। नित्य प्रातः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर
“कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।” का जप करें तथा शाम को प्रदोषकाल में भगवान श्रीहरि की आरती कर गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें....
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।” का जप करें तथा शाम को प्रदोषकाल में भगवान श्रीहरि की आरती कर गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें....
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