अनुराधा के 2रे चरण यानि वृश्चिक
राशि और लग्न में जन्मे श्री नरेन्द्र मोदी की जन्म-पत्रिका स्पष्ट कर देती है कि
क्यों मोदी किसी भी झंझा में अविचलित रहते हैं, क्यों तमाम शत्रुओं का हर वार उनका
अपना अस्त्र बन जाता है।
1) स्वराशि वृश्चिक का मंगल लग्नस्थ
होकर रूचक महापुरुषयोग बना रहा है, साथ ही श्री मोदी को शानदार तथा प्रभावशाली
वक्तृत्व कौशल दे रहा है।
2) चंद्रमा का नीच भंग करते मंगल
और गुरु प्रबल राजयोगकारक हैं
3)
चंद्रमा से केन्द्र में लग्न
के दूसरे भाव का का स्वामी गुरू है जो अखण्ड साम्राज्य देता है।
4)
लग्न में लग्नेश मंगल और
भाग्येश चंद्रमा की युति कुशल राजनेतृत्व दे रही है।
दशम भाव में प्रजासुख के कारक ग्रह शनि एवं शुक्र के केन्द्र में होने से
1) पराक्रमी, साहसी, तर्क के साथ शीध्र निर्णय लेने
की क्षमता,
2) शत्रुओं एवं विरोधियो पर काबू पाने वाला
3) प्रशासन का सफल संचालन करने की क्षमता
4) जनता को खुश करने व सेना नायक के रूप में अपनी छवि बनाने वाला
5) शुक्र और शनि की युति इन्हें साम,
दाम, दण्ड और भेद- इन कुटनीति के चारों अस्त्रों से सुशोभित कर रही है।
सूर्य एवं शनि क्रमशः
00.35 अंश (बाल्यावस्था) और 29.39 अंश ( मृत) पर सूर्य के स्वामीत्व वाले उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हैं। इस कारण इन ग्रहों का क्रूर
प्रभाव निर्बल हो गया है जिससे दोनों के मध्य शत्रुता कम हुयी है।
दशम भावस्थ शनि-शुक्र
युति और गुरु का दृष्टि-सम्बन्ध
जनता में स्वच्छ छवि के साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश एवं सुप्रशासन चलाने में श्री मोदी को सक्षम करते हैं।
एकादश भाव में
उच्च के वक्री बुध एवं केतु सूर्य के नक्षत्र में हैं। इन दोनों ग्रहों की युति सूर्य के साथ होने से गुजरात
राज्य में देशी एवं विदेशी आर्थिक निवेश को लाने में श्री मोदी कूटनीतिक रूप
से अन्य मुख्यमंत्रियों से अधिक सफल हुए हैं।
लग्न एवं छठे भाव के
स्वामी मंगल का स्वगृही होकर लग्न में होना श्री मोदी को शत्रुओं पर विजय देता रहा है
लेकिन स्वयं को ही स्वयम् का शत्रु बना देता है।
लग्न स्थिर राशि का और अधिकांश
ग्रह स्थिर राशि में हैं इसकारण श्री मोदी लोकप्रिय, दृढ़ और कुशल प्रशासक होने के
साथ ही हठी और परिवर्तन स्वीकार करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
लग्न में स्थित भाग्य भाव का स्वामी
नीच राशि का चंद्रमा व स्वगृही मंगल की पूर्ण दृष्टि संगठन भाव पर होने से श्री मोदी की विचारधारा से
कभी कभी संगठन के साथ वैचारिक मतभेद होते रहते हैं।
कुंडली में सूर्य,
शनि दोनो ही कम अंशों के साथ सूर्य के नक्षत्र में होने से सूर्य बलशाली रहा है।
दशमेश सूर्य की महादशा में इन्हे 2005 तथा 2007 में अत्यंत
प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ अनेक प्रतिष्ठापरक सम्मानों से नवाजा
गया है।
किन्तु गुरु शनि की आपस में पूर्ण दृष्टि एवं पंचम भाव में राहु और उस पर सूर्य बुध तथा केतु की
दृष्टि होने के कारण मोदी न्यायायिक विवादों में फँसते रहे हैं। पंचम भाव में बैठा राहु अपनी
अंतर्दशा और प्रत्यंतरदशा के समय इन्हें प्रजा से संबंधित विवादों में डालता रहा
है।शनि की चढ़ती साढ़ेसाती और वृश्चिक
में नीच का राहु श्री मोदी के मार्ग की बड़ी बाधाएँ है पर भाग्येश चंद्रमा में
लग्नेश मंगल की दशा 28.9.2012 से 29.4.2013 तक है। इस कारण बावजूद तमाम बाधाओं
के 20 दिसम्बर 2012 को विजयश्री निश्चय ही नरेन्द्र मोदी का वरण करेगी।
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