Thursday, April 12, 2012

नव सम्वत्सर 2069

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, शुक्रवार तदनुसार 23 मार्च,2012 को रात्रि में 8 बजकर 7 मिनट पर विश्वावसु सम्वत्सर का प्रवेश उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवम् शुक्ल योगकालीन कन्या लग्न में प्रविष्ट हो रहा है। सम्वत् 2069 का वर्षप्रवेश लग्न कन्या है। वर्ष लग्नेश बुध अस्तंगत होकर सप्तम भाव में अपनी नीच राशि मीन में मंगल की आठवीं अशुभ दृष्टि से आक्रान्त है और वर्ष लग्न भी दो पाप ग्रहों, शनि और मंगल के बीच पापाक्रान्त है, पापकर्तरी योग बना रहा है। अन्ताराष्ट्रीय सम्बन्धों का स्वामी सप्तमेश गुरू अष्टम भाव में शत्रुग्रह शुक्र के साथ बैठा है। अतः पृथ्वी अनेक प्रकार के उपद्रवों और घोर रोगों से आकुल दिखेगी।

पूर्वी प्रान्तों (बंग, उत्कल, बिहार), मध्य (छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश) तथा उत्तरी भाग में हिंसक उपद्रव, राजनैतिक विग्रह और सीमावर्ती प्रदेशों में अग्निकाण्ड, सत्ता-परिवर्तन और विदेशी अतिक्रमणों से देश जूझता दिखेगा। राजनेताओं और मन्त्रियों में परस्पर विद्वेष एवम् तनाव चरम पर दिखेगा। किसी प्रतिष्ठित विभूति के निधन से देश मर्माहत हो सकता है। पश्चिमतटीय भागों तथा उत्तरी-पर्वतीय हिस्सों में अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकम्प जैसे प्राकृतिक प्रकोप दिखेंगे। अर्थात् राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और लोकमानस के साथ-साथ प्रकृति भी क्षुब्ध और कुपित दिखेगी।

अब्देविश्वावसौ शश्वद् घोररोगाकुलाधराः।

सस्यार्घवृष्टयोमध्याभूपालानातिभूतयः।।

कन्यायाम् दक्षिणेदेशे-मरिस्यात् तथा बंगेप्युपद्रवः।

लोकदुखं पश्चिमायां विग्रहः अन्न समर्घता।।

............ प्राच्यामुदीच्याम् राज-विग्रहः।

मध्यदेशे छत्र भंगः समर्घत्वं घृते पुनः।।

चान्दी, दूध और दूध से बने उत्पाद( घी, पनीर), जीवनरक्षक दवाएँ, तेल, पेट्रोलियम पदार्थों के साथ-साथ धान्यादि के मूल्य आसमान चूमेंगे। अनुकूल वर्षा में कमी, कमरतोड़ महँगाई, क्लिष्ट रोगों की अधिकता, हिंसक उपद्रव और अभावों से जनजीवन हलकान रहेगा। शासक वर्ग परस्पर विद्वेष लोभ और अहंकारवश राजधर्म से विमुख होगा।

बावजूद इन सबके भारतवर्ष इंजीनियरिंग, कम्प्युटर, दूरसंचार, उच्च-तकनीकि शिक्षा, अन्ताराष्ट्रीय निर्यात आदि क्षेत्रों में आशातीत सफलता प्राप्त करेगा। अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी के साथ सोवियत रूस से सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आएगी।

खप्पर योग 7 अप्रैल से 3 जुलाई तक वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ महीनों में क्रमशः 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार पड़ने से अत्यंत अनिष्टकारी खप्पर योग बन रहा है।

शनिः स्यात् आद्यसंक्रान्तौ द्वितीयायाम् प्रभाकरः।

तृतीयायाम् कुजो योगः खर्पराखयोति कष्टकृत्।।

साथ ही वर्ष के प्रारम्भ से ही शुभ ग्रहों (बुध और गुरू) का अतिचारी होना और शनि का वक्री होना विश्व के लिए हाहाकारी समय का सूचक है।

अतिचार गते जीवे वक्री भूते शनैश्चरे।

हा! हा! भूतं जगत् सर्वम् रूण्डमाला महीतले।।

मेष और तुला राशियों पर गुरू और शनि का समसप्तक योग, वर्षलग्नेश बुध का वर्ष और जगत् लग्न- दोनों कुण्डलियों में नीच का होकर क्रमशः सातवें और छठे भाव में बैठना, जगत् लग्नाधिपति शुक्र का केतु के साथ आठवें भाव में जाना जाड़े में हिमपात की तरह होगा, जब कि इस वर्ष शुक्र को वर्ष के राजा और मंत्री दोनों का अधिकार प्राप्त है।

सम्पूर्ण विश्व में प्राकृतिक प्रकोप अपने चरम पर होंगे, स्त्रियों पर अत्याचार और यौन अपराधों के साथ ही यौन उत्श्रृंखलता और यौन रोगों, मधुमेह, कैंसर आदि में वृद्धि होगी, शासक वर्ग के प्रति भयंकर असंतोष और विद्रोह के लक्षण भी दिख रहे हैं। सरकारी तंत्र आपसी ताल-मेल से हीन होंगे, आकस्मिक दुर्घटनाओं, जानलेवा विस्फोटकों, जबर्दस्त महँगाई तथा चरमराते आर्थिक हालात से भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व हलकान होगा।

स्वयं राजा स्वयं मंत्री जनेषु रोग पीड़ा विग्रह भयं च नृपाणाम्।।

ईश्वर के प्रति भयवश श्रद्धा का दिखावा अतिरेक की हद तक होगा। यह सच्चे मन से ईश्वर को गुहार लगाने का समय है। ईश्वर हमें सद्बुद्धि और विवेक दें।

1 comment:

  1. आचार्य जी जानकारी के लिए धन्यवाद..... विषय को थोड़ा और विस्तार से बतलाने की कृपा करें।

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