विक्रमाब्द 2072, वर्तमान कीलक नाम संवत्सर.....
श्री श्वेतवाराह कल्पारम्भ से 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85
हजार 116 वर्ष बीत चुके हैं। वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाइसवें कलियुग के 5116 वर्ष,
श्रीविक्रम सम्वत्सर के 2071 वर्ष तथा शकारम्भ के 1937 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।
ईसवीय दिनांक 21 मार्च 2015 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दिन शनिवार को कीलक नाम के
विक्रमीय 2072 वें संवत का विनियोग प्रारम्भ होगा। वास्तव में ‘कीलक’ का प्रवेश 19
जून 2014 को ही हो गया था, पर उसके विनियोग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 21
मार्च 2015 से होगा। आगामी बार्हस्पत्य संवत्सर ‘सौम्य’ का प्रवेश 28 मई 2015 को पूर्वाह्न 10.11 पर होगा। कीलक में अत्यधिक
वृष्टि तथा शासकों का उपद्रव दोनों प्रजा के लिए विक्षोभ कारक होंगे।
तोयपूर्णो भवेन्मेघो वर्षते च धरातले। उपद्रवस्तु राज्ञां
वै कीलके सदा प्रिये।।
वर्तमान संवत्सर के प्रवेशकाल में सिंहराशि उदित हुयी है। वर्ष
लग्नेश सूर्य गुरूदृष्ट मंगल-केतु सुक्त होकर नवम भाव में स्थित है। वर्तमान
वर्षपति शनि तथा मंत्री मंगल होंगे। वर्तमान खगोलीय परिषद् में सूर्य रसेश,
चन्द्रमा के आधिपत्य में दुर्ग, फल तथा मेघ, बुध के आधिपत्य में शीत कालीन धान्येश
का प्रभार है। देवगुरू कोष तथा चौमासा धान्य के अधिपति हैं। शुक्र को सस्य तथा
नीरसेश का दायित्व मिला है।
ग्रहण-- इस वर्ष चार ग्रहण (2 चन्द्र तथा दो सूर्यग्रहण) लग रहे
हैं, जिनमें तीन ग्रहम भारत में दिखेंगे। चैत्र पूर्णिमा (4 अप्रैल 2015) को
ग्रस्तोदित खण्ड चन्द्रग्रहण का मोक्ष सम्पूर्ण भारत में, भाद्रपद पूर्णिमा (28
सितम्बर 2015) को खग्रास चन्द्रग्रहण गुजरात और राजस्थान के सूदूर पश्चिमी इलाकों
में सूक्ष्मरूप में दिखेगा। फाल्गुन अमावस्या (9 मार्च 2016) को खग्रास सूर्यग्रहण
भारत में ग्रस्तोदित होगा, जो पश्चिम और पश्चिमोत्तर भाग को छोड़कर शेष समस्त भारत
में दिखेगा।
संवत
के राजा शनि और मन्त्री शनि के प्रबल शत्रु मंगल हैं। शनि वर्तमान में अपने प्रबल
शत्रु मंगल की ही राशि वृश्चिक में वक्री उदित हुआ है, जबकि देवगुरू भी संवत्पर
प्रवेश में में वक्री होकर शिन को देख रहे हैं। तीन प्रमुख प्राधिकार क्रूर ग्रहों
को तथा सात सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। इस ग्रहशासनाधिकार के फलस्वरूप विश्व
और भारत का राजनैतिक वातावरण विक्षुब्ध, अनिश्चित, तनावपूर्ण,और अशान्त रहेगा।
शनैश्चरे भूमिपतौ सकृज्जलम् प्रभूत रोगैः परिपीडिता जनाः।
लोगों
में क्रोध, उत्तेजना, एवम् अहमन्यता बढ़ने से रोड-रेज, झगड़ा-फसाद, साम्प्रदायिक
हिंसा, दुर्घटनाएँ की अधिकता रहेगी।
विश्व पर प्रभाव- पूर्वार्ध में प्रतिकूल
वर्षा तथा क्लिष्ट रोगों के कारण लोग परेशान रहेंगे। इस वर्ष कुछ देशों में युद्ध
अथवा गृहयुद्ध की छाया है। वर्ष प्रवेश में गुरू-शुक्र के चतुर्थ-दशम सम्बन्ध
अन्तर्राष्ट्रीय एवम् देशों के घरेलू हालात अत्यन्त अनिश्चिततापूर्ण और तनावपूर्ण
रहने की आशंका है। विश्व के प्रमुख शक्तियों के साथ ही भारत में इस्लामी कट्टरवाद
एक प्रमुख मुद्दा बनेगा। साथ ही सीरिया, ईराक, इजरायल-फिलीस्तीन, सूडान,
युगाण्डा, मिस्र, अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम राष्ट्र लम्बे
गृहसुद्ध की ओर अग्रसर होते दिखेंगे। उच्चस्थ गुरू के तथा मेषस्थ शुक्र के
प्रभावस्वरूप विश्व में अस्थिरता का माहौल रहेगा। खाड़ी के देश अमेरिका एवं यूरोप के
खिलाफ एकजूट होते दिखेगें। इस वर्ष अमेरिका की आर्थिक-वैदेशिक स्थिति चुनौतिपूर्ण
रहेगी। पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात बनते दृष्टिगोचर हो रहे हैं।यूरोपीय देशों
की स्थिति पर शनि तथा गुरु की मंगल और शुक्र पर विशेष दृष्टि है। गुरू और शनि के इस
वक्रावधि काल में यूरोपीय देशों में कहीं दुर्भिक्ष की स्थिति बनेगी । फ्रांस आदि में
अकस्मात् राष्ट्रनायक के विरुद्ध सेना या आतंकवाद प्रभावी होंगें।
‘राष्ट्रभंगं विजानियात वैरोपद्रव
संकुलम । कर्क राशि गतो जीवों यदा वक्री भवेतदा’
इन दिनों
कहीं राष्ट्रव्यापी आंदोलन, तो कहीं हत्याकाण्ड तो कहीं शासक विद्रोह तो
कहीं सैन्यविद्रोह आदि विशेष घटनाएं देखने में आयेंगीं। जून से अगस्त के बीच यूरोपीय
देशों में कहीं भारी तूफान (सुनामी ,टाइफून ,हैरिकेन ,साइक्लोन ,फलडस) या भूकम्प
आदि का प्रकोप जान-माल के लिए हानिकारक हो सकता है । सितम्बर से दिसंबर 2015
तक यूरोपीय देशों में वैज्ञानिक क्षेत्र या स्पेस साईंस या जीव विज्ञान
में नई उपलब्धियों को देने वाली है। इस बीच किसी प्रभावित व्यक्ति के अपदस्थ होने का
भी योग है। यूरोपीय प्रतिष्ठित देशों इंग्लैण्ड, फ्रांस, यूक्रेन
के लिए यह वर्ष आंतरिक समस्याओं से उलझनपूर्ण रहेगा। ब्रिटेन की टोरी पार्टी को
आगे निर्वाचन में भारी क्षति एवं पराजय का सामना पड़ सकता है। इस देश के प्रवासियों
को भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। साथ ही यूरोपियन यूनियन के कुछ देश राजनैतिक स्थिति
के कारण और अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए अलग होने पर मजबूर हो सकते हैं। अर्थात् यूरोपीय
देशों की जनता को संवत 2072 में सुखद एवं दुखद घटनाओं से रूबरू
होना पड़ेगा ।
भारत पर प्रभाव- भारत के पश्चिमी,
ऊत्तर-पश्चिमी तथा सीमावर्ती प्रदेशों की सीमाएँ शत्रुराष्ट्रों के अतिक्रमण से
आक्रान्त दिखेगी। भारत के समक्ष पूर्वी, उत्तरी एवम् पश्चिमी हिस्से घुसपैठ तथा
भौगोलिक विवाद चुनौती बनकर उरेगी। परन्तु भारत दृढ़ता पूर्वक इनका सामना करने और
विजय प्राप्त करने में सफल होगा। मई-जून के महीने में पूर्वी तथा मध्य भारत में
राजनैतिक-सामाजिक टकराव की स्थिति बनेगी। वर्ष के मध्य में पड़ोसियों से सैन्य
टकराव एवम् घुसपैठ जन्य युद्ध की आशंका बनेगी। किसी विशिष्ट नेता के विछोह का दुख
झेलना पड़ सकता है।
शेयर
बाजार में तेजी तथ मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी से वर्ष प्रारम्भ होगा। आवश्यक
वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि तथा पूर्वोत्तर भारत में हिंसक घटनाओं के साथ ही
प्राकृतिक प्रकोप की आशंका रहेगी। राजनैतिक वातावरण अविश्वासपूर्ण, अस्थिर तथा
गतिरोधयुक्त होने से कल्याणकारी योजनाओं को गति नहीं मिल पाएगी। देश के कुछ प्रदेशों
में बदलाव होंगें। सत्तासीन दल को अनेक संघर्षों का सामना करना होगा। उद्योग जगत
को तमाम आश्वासनों के बावजूद औद्योगिक सरप्लस तथा उत्पादन की चुनौतियाँ बनी
रहेंगी।
ऋतुएँ
विपरीत होंगी, प्राकृतिक प्रकोप का कष्ट झेलेंगे, वर्षा अल्प एवं विशेष होगी, बाढ़ से नुकसान होगा, भूकम्प एवं भूस्खलन से जान धन की हानि होगी, प्रत्येक
मास में वर्षा देखने को मिलेगी, पहाड़ों पर भारी हिमपात होगा, मैदानी भाग ओलावृष्टि से पीड़ित होंगें। कश्मीर समस्या की सिरदर्दी बनी रहेगी,
किन्तु
उत्तरार्ध में सौम्य संवत्सर का प्रवेश होने से राहत की उम्मीद अवश्य होगी।
जायन्ते
सर्वधान्यानि स्वस्थम् च निरुपद्रवम्।सौम्यवृष्टि वरारोहे सौम्ये सौम्यम्
प्रजायते।।
अच्छी
कृषि तथा आरोग्य दायक सौम्य का प्रभाव अगस्त से वर्षपति के मार्गी होने से
दृष्टिगोचर होगा। स्वास्थ्य, श्रीवृद्धि तथा अनुकूल शरद देश के लिए अच्छी
सूचनाएं लाएगा। रोहिणीनिवास समुद्र तट पर, संवत्सर निवास धोबी के घर
तथा नवमेघों में वरुण का वर्ष पर प्रभाव होने से अच्छी किन्तु पूर्वी मैदानी भाग
में अतिवृष्टि के योग बन रहे हैं। आर्द्राप्रवेश मध्य रात्रि में होने से
शारदीय-अगहनी फसलें तथा आगामी वर्ष में वासन्तिक फसलों का उत्पादन संतोषजनक होगा।
श्रीरस्तु...
No comments:
Post a Comment