नरेंद्र मोदी की कुंडली में लग्न में स्वराशि वृश्चिक का मंगल रूचक महापुरुषयोग बना रहा है। स्वभाव से ही साहसी, बड़ों और गुरुजनों के सामने विनयशील,पराक्रमी और जनता से प्रेम करने वाला शासक बनाता है यह महापुरुष योग ।
रूचक महापुरुष योग में उत्पन्न व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों से लड़कर तथाविरोधियों की ताकत से ताकत प्राप्त कर उन्हें परास्त करने में कुशल होता है।
एक ओर तो वृश्चिक लग्न ने श्री मोदी को शानदार तथा प्रभावशाली वक्ता बनाया हैवहीं लग्नस्थ मंगल ने अतिउत्साह से लबरेज कर रखा है ।
श्री नरेंद्र मोदी की कुंडली में चंद्रमा का नीच भंग करते मंगल और गुरु प्रबलराजयोग कारक बन गए हैं। साथ ही दशम भाव में शुक्र और शनि की युति इन्हे कुटनीति केचारों अस्त्रों( साम, दाम, दंड और भेद) में निपुण बना रही है।
भाग्य का मालिक चंद्रमा लग्न में लग्नेश के साथ बैठ कर प्रबल राजकारक योग बनारहा है तथा विपरीत परिस्थितियों में अत्यन्त संतुलित स्वभाव और सहज विवेक दे रहाहै।
दशमेश सूर्य की 2004 से चल रही महादशा 2010 तक इन्हें बावजूद तमाम विवादों केअपनी प्रजा में लोकप्रिय बनाती रही। वर्तमान में चल रही भाग्येश चंद्रमा की महादशाइन्हें आगामी चुनाव में इनके यश की वृद्धि और हर तरफ से प्रतिष्ठा दिलाने वालीसिद्ध होगी।
वास्तव में श्री नरेंद्र मोदी के उत्कर्ष का समय अब प्रारंभ हुआ है।
दशमेश सूर्य की महादशा में इन्हे 2005 तथा 2007 में अत्यंत प्रभावशालीअंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ अनेक प्रतिष्ठापरक सम्मानों से नवाजा गया है।पंचम भाव में बैठा राहु अपनी अंतर्दशा और प्रत्यंतरदशा के समय इन्हें प्रजा सेसंबंधित विवादों में डालता रहा है। जो इनकी प्रतिष्ठा के लिए अनुकूल नहीं है।
15 नवंबर से चढ़ती शनि की साढ़ेसाती इन्हे नये विवादों में डाल सकती है।कानूनी मुकदमों का परिणाम इनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं होगा, ऐसा लगता है। ऐसेमें आध्यात्मिक कर्मकांड और इनकी सहजबुद्धि इनके लिए मददगार साबित होंगे।
यह पढ़कर नरेंद्र विरोधियों की रातों की नींद हराम हो जाएगी। और दिग्विजय जैसे लोग तो ये कहने लगेंगे कि इसमें भी आरएसएस की कोई साजिश है।
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